लिखा है कि भारत सरकार की ओर से करेंसी को बाहर करने के फैसलेस को दो महीने से चुके हैं और इसके चलते अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ा है। लिखा गया है कि इस फैसले से निर्माण उद्योग सिकुड़ रहा है साथ ही कारों और रियल स्टेट की बिक्री नीचे आ गई है। किसानों और आम लोगों का कहना है कि कैश की कमी ने उनका जीवन मुश्किलों भरा कर दिया है। नोटबंदी के फैसले को अत्याचारी तरीके से लागू किया गया। इस दौरान नकदी निकालने और जमा करने के लिए लोगों को घंटों लाइन में लगना पड़ा।
लिखा गया है कि इस फैसेल से नए नोटों की कमी है क्योंकि पहले से छपाई नहीं की गई साथ ही छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में कैश की कमी बहुत ज्यादा है। नोटबंदी के फैसले को मानवनिर्मित संकट करार देते हुए न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि कई भारतीयों को करप्शन के खिलाफ जंग लड़ने में वो थोड़ा कष्ट सहने को तैयार है लेकिन कैश की कमी अगर खत्म नहीं हुई साथ ही यदि नोटबंदी के इस फैसले से भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगा तो उनका धैर्य भी टिकेगा नहीं।
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