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स. तरलोचन सिंघ सरना, एक सर्वदिल अज़ीज़ प्यारी पंथक शक्सियत थे
स. तरलोचन सिंघ सरना, एक सर्वदिल अज़ीज़ प्यारी पंथक शक्सियत थे
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स. तरलोचन सिंघ सरना, एक सर्वदिल अज़ीज़ प्यारी पंथक शक्सियत थे  
नयी दिल्ली : स. तरलोचन सिंघ सरना, एक ऐसी सर्वदिल अज़ीज़ प्यारी पंथक शक्सियत थे, जिनको पंथ के प्रमुख नेताओं सहित सभी वर्गों का प्यार, सत्कार और विशवास हांसिल था ! उन्होंने ना केवल खुद सिख्खी के बुनियादी असूलों, किरत करना, बांट कर छकना और नाम जपना की पालना पर दृढ़ता से पहरा दिया, बल्कि अपने परिवार के हर प्राणी को भी यही गुण दिए !
यह विचार स. तरसेम सिंघ खालसा, भूतपूर्व चेयरमैन, धर्म प्रचार कमेटी, दिल्ली सिख्ख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने स. तरलोचन सिंघ सरना तथा सरदारनी जसवंत कौर सरना की वार्षिक याद में गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब के लख्खी शाह बंजारा हाल में हुए एक विशेष समागम में, उनके प्रति श्रधान्जली भेंट करते हुए कहे ! स. तरसेम सिंघ ने कहा की आज के समय में जबकि आधुनिकता का शिकार हो कर नौजवान सिख्खी स्वरूप का त्याग कर रहे हैं, वहीँ स. तरलोचन सिंघ सरना की परवरिश के कारण उनके परिवार में ना केवल सिख्खी स्वरूप ही, बल्कि सिख्ख धर्म की मान्यताओं को भी दृढ़ता से कायम रखा गया है !
स. तरसेम सिंघ ने बीते दिनों विदेशों, ख़ास कर कनाडा, अमरीका में सिख्खी विरोधी शक्तियों के विरुद्ध हुए प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा की आज का सिख्ख चाहे देश या विदेश के किसी भी कोने में बस्ता है, सिख्खी की मान्यताओं, मर्यादाओं और पंथक हितों-अधिकारों की रक्षा करने के प्रति पूरी तरह चेतनं है ! उन्होंने कहा की यही कारण है की वह सिख्ख तथा सिख्खी विरोधी शक्तियों, चाहे वो सिख्खी स्वरूप में ही क्यों ना हों, को सहन करने के लिए तैयार नहीं ! उन्होंने स. तरलोचन सिंघ सरना के स्पुत्रों स. परमजीत सिंघ सरना, स. भूपिंदर सिंघ सरना और स. हरविंदर सिंघ सरना के दिलों में सिख्खी की मान्यताओं, परम्पराओं और सिख्खी हितों और अधिकारों की रक्षा के प्रति दर्द और तड़प का विस्तार से जिक्र किया ! इस मौके पर नामधारी नेता ठाकुर दलीप सिंघ, शाह साहिब, दिल्ली के भूतपूर्व मंत्री लवली जी, हारून यूसुफ़, भूतपूर्व सांसद मिश्रा जी साहिब दिल्ली और पंजाब की अनेकों प्रमुख शक्सियतों ने स. तरलोचन सिंघ सरना के प्रति अपने श्रदा सुमन भेंट करने के लिए हाजिरी भरी !
इस मौके पर भाई साहिब भाई मनोहर सिंघ के कीर्तनी जत्थे ने गुरबानी के मनमोहक कीर्तन द्वारा संगतों को निहाल किया !

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