ਕੈਟੇਗਰੀ

ਤੁਹਾਡੀ ਰਾਇ



ਇੰਦਰਜੀਤ ਸਿੰਘ ਕਾਨਪੁਰ
जँगल जँगल पता चला है, चड्डी पहन के फूल खिला है l
जँगल जँगल पता चला है, चड्डी पहन के फूल खिला है l
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जँगल जँगल पता चला है, चड्डी पहन के फूल खिला है l
गुरबक्श सिँध गुलशन जो बँगला साहिब से सिक्ख रहित मरियादा के बारे में लड़ी वार कथा करके लोगों को गुमराह करते रहे, यह गुमराह शब्द इस लिये कह रहा हूँ कि सिक्ख रहित मरियादा पर वख्यान करने वाले इस कथित विद्वान ने ना तो सिक्ख रहित मरियादा ही ठीक से पड़ी है ,और ना ही यह स्वयं सिक्ख रहित मरियादा को मानते है।इन से मेरा फिलहाल एक ही सवाल है कि सिक्ख रहित मरियादा में किस पँने पर लिखा है कि ,हहजूर साहिब जाके पैजामा उतार कर ही कथा की जा सकती है ? यह जब हजूर साहिब जाते है तो अपना पैजामा उतार के ही कथा करते हैं । फेस बुक पर आज इनकी यह फोटो मिल गई जो हजुर साहिब कथा करके आते हुये की है।।।दिल चाहा कि ययह तो सिक्ख रहित मरियादा के सबसे बड़े पैरोकार है ,तो इनसे अपने सटेटस के माध्यम से यह सवाल पूँछ ही डालूँ ,,कि विद्वान जी आप वहाँ जा कर सिक्ख रहित मरियादा की किस धारा के अँतरगत वहाँ जाकर पैजामा उतार कर कथा करते है?
इसी लिये सिक्ख कोम गर्त में धसती जा रही है कि हमारे प्रचारको की कथनी और करनी में एकसारता पूरी तरह से ख्तम हो चुकी है।यह लोगों को कुछ समझाते है और अपने जीवन में उसका उलटा करते हैै । इन प्रचारकों ने कथा कीर्तन करना अपना व्यवसाय बना लिया है।यह एक कलाकार हैं समाज सुधारक या पँथ दर्दी नही।यह कलाकार अपने व्यवसाय के लिये पैसा कमाने के लिये सिक्ख सिधान्तो को ताक पर रख कर किसी भी हद को लाँघ सकते है ।कौम को अब रब्ब ही बचाये ।
एक बात में दावे के साथ कि सकता हूँ कि हजूर साहब जाकर इन्हो ने सिक्ख रहित मरियादा के उलट अपना पैजामा तो उतार दिया लेकिन वहाँ के जथेदार को सिकंख रहित मरियादा का अनुपालन करने के लिये एक शब्द भी नही कहा होगा । कौम के इन कथित प्रचारकों ने सिक्ख रहित मरियादा के नाम पर अच्छा बेवकूफ बनाया हुआ है ।सँगत से यह कहते है कि हम सिक्ख रहित मर्यादा पर पहरा देते हैं ।हर सिक्ख को सिक्ख रहित मरंयादा का पालन करना और उस पर पहरा देनां है।और हजूर लाहिब जा कर पता नही किस मर्यादा के तहित अपना पैजामां उतार की नँगी टाँगे करके बेशर्मों की तरह सँगत में बैठ जाते है ।क्यो कि वहाँ पर उनकी मर्यादा लागू होती है, सिक्खो की नही।गँगा गये तो गँगाराम, यमुना गये तो यमुना दास
यह कलाकार कौम को सि्कख रहित मर्यादा के नाम पर मूर्ख बना रहे है ।जब दो तखत और टकसाले ही सिक्ख रहत मर्यादा को नहीं मानती तो यह किस अधार पर उसे "पँथ प्वाणित" कहते है ।और यह फतवे जारी करते है कि "सिक्ख रहित मर्यादा से भगौड़ों का सिक्ख पँथ से कोई लेना देनां नही है ।" वाह भई वाह यह दोगले प्रचारक कौम को कया दिशा देंगे और किधर ले जायेगे जिनकी अपनी कथनी और कथनी ही ढकोसलो से भरी हुई है ।
ਇੰਦਰਜੀਤ ਸਿੰਘ ਕਾਨਪੁਰ
 

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