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धरती पर हुए इस सबसे बड़े धमाके को आज तक नहीं समझ पाए हैं वैज्ञानिक
धरती पर हुए इस सबसे बड़े धमाके को आज तक नहीं समझ पाए हैं वैज्ञानिक
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धरती पर हुए इस सबसे बड़े धमाके को आज तक नहीं समझ पाए हैं वैज्ञानिक
 Posted on: August 27, 2016 11:05 PM IST
आईबीएन-7
नई दिल्ली। आज से 108 साल पहले रूस में एक धमाका हुआ था,  जिसे सृष्टि का शायद सबसे बड़ा धमाका माना जाता है। एक ऐसा धमाका जो हिरोशिमा में हुए परमाणु धमाके से एक हजार गुना ज्यादा शक्तिशाली था, लेकिन जमीन पर धमाके का कोई निशान नहीं मिला।
30 जून 1908 में रूस की तुंगुस्का नदी के पास खामोश सा इलाका था। दोपहर के करीब एक बजे का वक्त था और तभी कुछ ऐसा हुआ, जैसा धरती पर पहले कभी नहीं हुआ था।  ऐसा लगा, जैसे आसमान दो टुकड़ों में बंट गया हो। रोशनी इतनी तेज कि सैकड़ों किलोमीटर दूर लोगों को दिखाई देना बंद हो गया। हजारों किलोमीटर तक लोगों के घरों के खिड़की, दरवाजे उखड़ गए।
एक ऐसा धमाका जिसके असर से हजारों मील दूर न जाने कितने लोग उछलकर गिर पड़े। कानों के पर्दे फट गए, चंद सेकेंड बाद धमाके की आवाज खामोश हुई तो अबतक की सबसे डरावनी तस्वीर सामने थी। दो हजार वर्ग किलोमीटर तक मौजूद सभी पेड़ जलकर खाख हो चुके थे। मिट्टी, जैसे राख में बदल चुकी थी। लेकिन ये धमाका था, या कुछ और अगर धमाका था, तो उसकी वजह क्या थी। किसी को लगा, कि जैसे प्रलय आ चुकी हो तो किसी को दूसरी दुनिया के हमले का शक होने लगा। लेकिन जांच शुरु हुई, तो वैज्ञानिकों को इससे बड़ी हैरानी पहले कभी नहीं हुई थी।
ये धमाका हिरोशिमा पर हुए परमाणु हमले से 1000 गुना ज्य़ादा ताकतवर था, लेकिन जमीन पर न कोई गड्ढा मिला, न किसी विस्फोटक का कोई प्रमाण। कुछ वैज्ञानिकों ने किसी उड़न तश्तरी के धरती से टकराने की थ्योरी दी, लेकिन यहां भी वही तर्क लागू हुआ, कि अगर कोई उड़न तश्तरी तकराई थी, तो उसके निशान क्यों नहीं मिले।
कुछ वैज्ञानिकों ने अंदाजा लगाया कि शायद ये धमाका किसी बड़े उल्का पिंड की वजह से हुआ हो जिसने पृथ्वी के वातावरण में आते ही किसी धमाके की शक्ल ले ली हो। शुरुआत में इस थ्योरी को ही उस धमाके का सच माना गया, लेकिन जांचकर्ताओं को उस जमीन पर किसी उल्का पिंड के निशान नहीं मिले। आज 100 बरस से ज्यादा वक्त बीत गया। तुंगुस्का नदी के पास कुछ रहस्यमय चीजें भी मिलीं, लेकिन, धमाके के सच का आजतक कोई सुराग नहीं मिला।
 







 

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