An open letter from Sarna to Sirsa
स. मनजिंदर सिंह जी सिरसा
महासचिव
दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी
नई दिल्ली
सत्कारयोग सचिव साहिब,
मुझे बेहद अफसोस से लिखना पड़ रहा है कि आप अपने सरपस्त बादलों की तर्ज पर ही झूठ को सच में बदलने के असफल प्रयास करते आ रहे हो और अपने आकाओं की तरह ही सिखी व सिख गुरुधामों की अमीर परंपरा व विरासत को तबाह करने में लगे हुए हों। डेरेवाद के समर्थन पर ही गुरु ग्रंथ साहिब की हजूरी में देहधारियों को गुरु ग्रंथ साहिब से ऊपर का दर्जा देकर आपने, जो ना काबिल माफ जुर्म किया है, वह तो अपने आकाओं व भ्रष्टाचारी दौलत के प्रभाव से सिखों की सर्वोत्तम संस्था को भी नकारने की कौझी साजिश के बेनकाब होने के डर से झूठ व साजिशों के माहौल का सहारा लेने का प्रयास कर रहे हों।
मैं आप जी को स्पष्ट करना चाहता हूं कि दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनावों से पहले व बाद में जिस घिनौने ढंग से मेरे व मेरे साथियों पर आरोप तराशी की गई है, वह बर्दाश्त से बाहर है, इसलिए मैंने आप जी को खुली चुनौती दी थी कि इस संबंधी बहस होनी चाहिए, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके, लेकिन इस बहस को पारदर्शिता से चलाना के लिए सौहृदता व संतुलन पहली शर्त होती है।
मैं स्पष्ट तौर पर कहना चाहता हूं कि आपके आकाओं की मलकीयत वाला पी.टी.सी चैनल कभी भी ईमानदारी से प्रोग्राम नहीं देता और न ही इससे कोई उम्मीद रखी जा सकती है। इसलिए मैं पेशकश करता हूं कि इस बहस के लिए सारे चैनलों को खुला निमंत्रण दिया जाए और इसे लाईव टैलीकास्ट किया जाए। इस कार्य के लिए समय व स्थान के लिए भी सहमति हो सकती है।
स. सिरसा जी नैतिकता व ईमानदारी यह मांग करती है कि आपके द्वारा लगाए गए आरोपों की सूची व व्याख्या पहले भेजी जाए, ताकि उसके संबंधी दस्तावेजों सहित बहस में शामिल हो सके। इसके साथ ही बहस में शामिल होने वालों की संख्या निर्धारित होनी जरूरी है। मेरा सुझाव है कि कानूनी नुक्तों को पेश करने के लिए एक-एक वकील भी इस बहस का हिस्सेदार बनाया जा सकता है। यह सब इसलिए है कि किरदार व गुफ्तार इस बात का अहसास करवाती है कि वह निजी फायदों के लिए दिल्ली के गुरुद्वारों की मान मर्यादा तो क्या आप श्री अकाल तख्त साहिब की संप्रभुता को भी बट्टा लगाने के प्रयास में है।
आप के पत्र में संगत सामने व गुरुद्वारा साहिब में बहस करवाने की चर्चा की गई है, लेकिन आप की पार्टी के गैर पंथक व गैर जिम्मेवार किरदार से अवगत नहीं, इसलिए बहस के लिए मुनासिब स्थान माहौल व आस-पास होना चाहिए, क्योंकि आप के भ्रष्टाचारी किरदार व आप के आका बादलों व मजीठिया की पंजाब में सिखी व नौजवानी के हनन संबंधी कौन नहीं जानता? पंजाब में जिस माफिया ने पंथक रिवायतों को खत्म कर दिया है, उसके प्रभाव में आप से भी बड़ी उम्मीद नहीं रखी जा सकती, लेकिन पंथक हित्तों व सिखी के भविष्य और अपनी निर्मल साख को पेश करने के लिए मैं हर समय बहस के लिए तैयार हूं।
इसलिए आप जल्द से जल्द आरोपों का चिट्ठा पहुंचाएं ताकि सुचारू और सेहतमंद ढंग से बहस करने का माहौल कायम किया जा सके, अगर आप खुली मुद्दाहीन बहस करना चाहते है तो आरोपों की सूची पहले नहीं देनी चाहते तो भी हम तैयार हैं। हमें खुशी होगी कि मौजूदा दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, बादल अकाली दल के दिल्ली में व पंजाब में भ्रष्टचारी परपंच का पर्दाफाश करने का मौका प्राप्त होगा और इस बहस में पार्टी के सरपरस्त प्रकाश सिंह बादल का भी शामिल होना नैतिकता की मांग है।
स. सिरसा जी हम हर प्रकार की बहस के लिए तैयार हैं, लेकिन बेनियमों व एक तरफा ढंग से नहीं बल्कि पारदर्शी व सिख परंपराओं को सामने रखते हुए संतुलित ढंग से इसमें शामिल होना चाहिए। अब गेंद आपके पाले में है, इसका फैसला करके बताएं, नहीं तो हम सीधे तौर पर संगत को अलग-अलग माध्यमों द्वारा मुखातिब होकर झूठ व सच का निपटारा करने के लिए कार्यशील होने के लिए मजबूर होंगे।
उत्तर के इंतजार में....
गुरु पंथ का दास
परमजीत सिंह सरना
प्रधान शिरोमणि अकाली दल, दिल्ली