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भारत वासियो, किसान भाइयो, आपको समझना होगा कि पूरे संकट की जड़ सरकार है!
भारत वासियो, किसान भाइयो, आपको समझना होगा कि पूरे संकट की जड़ सरकार है!
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भारत वासियो, किसान भाइयो, आपको समझना होगा कि पूरे संकट की जड़ सरकार है!
  आप इन बिलों में उलझे हुए हैं, उस बिल्ली को पहचानिए जिसे नरेंद्र मोदी ने आपके दूध की रक्षा के लिए बिठा रखा है।  एफ.सी.आई.  पूरे भारत में खाद्यान्नों की खरीद, भंडारण, परिवहन और वितरण करता रहा है, इसकी विफलता का दावा करते हुए, सरकार ने इसकी खरीद, भंडारण और आपूर्ति के लिए 6,000 करोड़ रुपये की लागत का अनुबंध(ठेका) अडानी को दिया हुआ है। फिर अडानी क्यों नहीं चाहेगा कि  एफसीआई  जल्द से जल्द विफल हो, सरकार जल्द से जल्द अपना पूरा ढांचा उसे बेच दे, और यह सारा काम अडानी के स्थायी नियंत्रण में आ जाए।  इसी तरह सरकार गरीबों को चारों तरफ से घेर रही है।
भारत और इसके संविधान को बचाने के लिए हर वर्ग को खड़ा होना होगा, अन्यथा भविष्य में जब आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमत डीजल की तरह बढ़ जाएगी, तो क्या आप खाना बंद कर देंगे?
उसने रेलवे स्टेशनों सहित कुछ ट्रेनों को पहले ही बेच दिया है और बाकी बिक्री के लिए हैं।  हवाई जहाजों सहित हवाई अड्डों और लाल किले का भी यही हाल है।  एल.आई.सी ,अते  बैंक (छोटे से रिजर्व बैंक तक) सभी कंगाल हो चुके हैं।  शहर और कस्बे भी बिक रहे हैं।  भूमि, समुद्री भूखंडों को अंबानी और अडानी को उपहार में दिया जा रहा है। डीजल, पेट्रोल और रसोई गैस भी अडानी अंबानी के स्वामित्व में हैं।  पुरानी भारतीय तजरबेकार कंपनी एच.ए.एल को खारिज करते हुए, मोदी ने बिना एक दिन के अनुभव के ही अंबानी को राफेल विमान में भागीदार बनाया।  अंदर की बात क्या हैभगवान जाने।
आप इसी मुद्दे पर उलझे रहेंगे और सरकार आप की नागरिकता पर भी हाथ डाल लेगी। फिर नम्बर आएगा संविधान का, व्ह पहले से ही तैयार है, बस आपके टूट कर हाँफने का इंतजार है, जब आप बेदम हो जाएंगे, तो यह भी लागू हो जाएगा।
किसान भाइयों का मोर्चा लगा हुआ है, लाखों लोग इस कड़ाके की ठंड में धरने पर हैं। समझने वाली बात है, क्या किसी को कोई परवाह है? जिनके पास निर्णय लेने की शक्ति है, वे दूसरे राज्यों में जाकर किसानों से बात करने का दिखावा कर रहे हैं, दीये जला रहे हैं, नई अनावश्यक इमारतों का उद्घाटन कर रहे हैं, नवजात शिशुओं को बधाई देने के लिए जा रहे हैंलेकिन आपसे बात तक करने का समय नहीं। वे आपसे बात करने के लिए गैर जिमेवार लोग भेज रहे हैं जिनके हाथ में कुछ नहीं है। क्यों?
बटेर अंधे के हाथ में है, एक दिन ऐसा आएगा, जब आपके पास एक जगह से दूसरी जगह जाने की क्षमता भी नहीं होगी, आप किसी गलत फैसले का विरोध भी नहीं कर पाएंगे, तब क्या होगापुरानी बातों को आज भूल जाएं और एक साथ हो जाएं, नहीं तो बहुत देर हो जाएगी।
 सैन्य नायकों और पुलिसकर्मियों के सोचने की बात है  कि आप भी इसी गरीब वर्ग से हैं, आप किसी अंबानी, अडानी के वंशज नहीं हैं। कल आपको इन किसानों के घरों में ही रहना होगा, जिन पर आज आप लाठी चार्ज, आंसू गैस के गोले,पानी की तोपें और गोलियां चला रहे हो।  आओ और मिलकर भारत को बर्बाद करने पर तुली हुई इस सरकार को रोकें।       
       जो राजनीतिक दल भारत को बचाने के पक्ष में हैं, उनके पास भी सोचने का समय है, आज वे किसानों का समर्थन करेंगे, तो कल वही किसान भारत की राजनीति में सुधार करते हुए संविधान को बचाने में इन दलों का समर्थन करेंगे, बड़ी साफ़ सी बात है, की किसी भी लड़ाई को जीतने के लिए, समन्वय(आपसी संपर्क) की आवश्यकता है, क्योंकि सरकार के पास लोक सभा का भारी बहुमत, सेना, पुलिस और अन्य दलों के विधायकों को खरीदने के लिए धन  है।  एक और बात यह है कि सरकार के पास जनता के लिए कोई अच्छा प्लान और कुशल शासन नहीं है, यह भारत के गरीबों को तबाह करने के लिए विपक्ष को गरीब बनाने का एक साधन है, जिसके द्वारा वह भारत को एक हिंदू राष्ट्र बना कर इस देश पर एक छत् हिन्दुत्व शासन करना चाहते हैं।  अब विपक्षियों के करने का एक ही काम है, एक-दूसरे के अधिकारों में हस्तक्षेप न करके एक-दूसरे की मदद करना।  भारत को जातिवादियों में विभाजित होने से बचाएं, क्योंकि आर.एस.एस  और भाजपा के पास यहीं एक सबसे बड़ा हथियार है।
आज सरकार किसानों को बदनाम करने के लिए कई उपनाम दे रही है, कभी नक्सली, कभी भटके हुए, कभी अर्बन नक्सल, कभी खालिस्तानी, कभी टुकड़े-टुकड़े।  मैं यह भी स्पष्ट करना चाहता हूं कि भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान जैसे किसी भी खालिस्तान के लिए सिख धर्म में कोई जगह नहीं है, गुरु साहिब ने एक कस्बा बनाया था, जो सिखों के सामाजिक आदेश को साकार रूप देता था "करतारपुर", इसी का विस्तृत रूप  गुरु ग्रंथ साहिब जी में "बेगम पुरा" है जो सिखों का लक्ष्य है। इसका साक्षात रूप आज दिल्ली सीमा पर बसे नए गाँव हैं। अगर कोई वहाँ जाता है और उसे देखता है, तो समझ जाएगा कि बेगम पुरा क्या है।  एक ऐसे स्थान के निवासी जहाँ कोई दुःख नहीं है, जहाँ सभी समान हैं, जहाँ धर्म या किसी अन्य कारण के आधार पर कोई विभाजन नहीं है, सभी एक-दूसरे के दुख और सुख में हिस्सेदारी करते हैं।  सिख एक दिन पूरे भारत को ऐसा बेगम पुरा बनाएंगे जहां सभी का कल्याण होगा।  इसे कोई रोक नहीं सकेगा।
एक और बात यह है कि आज तक हर सरकार काले धन के बारे में चिल्लाती रहती है, लेकिन काले धन को  आज तक कहीं नहीं देखा गया है।  मोदी जी ने बहुत गणना कर और हिसाब किताब लगा कर ऐलान किया था कि वह हर नागरिक के खाते में 15 लाख रुपये डालेंगे, क्योंकि हाल ही में विकीलीक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, नेताओं के स्विस खातों में निम्नलिखित राशि है, एक बात बहुत आश्चर्यजनक है, कि सुषमा स्वराज के पास अंबानी की तुलना में अधिक पैसा है, आइए देखें,
WIKI LEAKS Published 1st List of black money holders in SWISS
bank...... The Top Most 30 members are.....(money is in CRORES)
1 - *Ambani (568000)*
2 - *Adani(7800)*
3 - *Amit Shah (158000)*
4 - Rajnath Singh(82000)
5 - *Arun Jaitley (15040)*
6 - Smriti Irani(28900)
7 -  Yadiyurappa  (9000)
8 - *Ravi Shankar Guruji (15000)*
9 - Baba Ramdev(75000)
10 - Janard jana Reddy(50000)
11 - Nalin Kohli(5900)
12 - Devendra Fadnavis(220000)
13 - Lalit Modi (76888)
14- Sushma Swaraj (582114)
15- *Narendra Modi(19800)*
16- Harshad Mehta(135800)
17- Ketan Parekh(8200)
18-Katta Subramanya Naidu(14500)
19- Lalu Prasad Yadav(28900)
20 - J M Scindia(9000)
21- *Kalanidi Maran(15000)*
22- *Vaiyapuri Gopalaswamy(35000)*
23- Vasundhara Raje(5900)
24- Raj foundation(189008
25- N Chandrbabu(168009)
26- J.Jayalalitha (257500)
27- Soniya Gandhi (300089)
28-  Subramaniya swamy(220060)
29- Sasi Kala ( 154700)
30- T.T.V.Thenakaran(12870)
pls fwd this msg by post on your wall.....pls support the movement against Corruption
Undigestible news:  Indians black money in Swiss bank is Rs.358,679,863,300,000 (estimated to be 1.3 trillion dollars) this money belongs to 2000 indians who have kept there to evade from tax, This money is enough for our india to become 10 america and become one of the most powerful developed country in the world for next 100yrs..
           ऐसे सैकड़ों अन्य नाम होंगे जिनका पैसा एकत्रित कर निश्चित रूप से भारत के हर निवासी के खाते में 15 लाख रुपये जमा करने के बाद भी इतना पैसा बच जाएगा, जो बिना किसी बाधा के भारत के सभी कार्यक्रमों को पूरा करेगा।  लेकिन पैसे वालों ने चाय बेचने वाले को ख़रीद लिया और  चाय वाले के स्विस बैंक के खाते में 19,800 करोड़ रुपये का काला धन जमाकरा दिया। काले धन की उसकी तलाश खत्म नहीं हुई, बल्कि उसकी भूख इतनी बढ़ गई कि  'पीएम केयर फंड' के साथ, एक और 'पीएम केयर फंड' स्थापित किया गया था, जिसमें यह पता नहीं चलता कि किसने कितना पैसा भेजा है, इसका कोई विवरण नहीं दिया गया और  न ही किसी को भी पूछने की अनुमति है।  यह पैसे की भूख है, जो कभी संतुष्ट नहीं होती।  मोदी जी ने अपने निजी इस्तेमाल के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति की तर्ज पर अपना निजी विमान भी लिया है।  भगवान उनकी भूख को तृप्त करे।  यह चाय बेचने वाले की भूख है।  खैर, कोई बात नहीं। उपरोक्त सूची में से कई भगवान को प्यारे हो गए हैं,  वह अपने साथ पैसे नहीं लिजा पाए और न ही मोदी जी  पैसा अपने साथ लिज़ा सकेंगे। मोदी जी को विनम्रता से काम लेना चाहिए और अंबानी, अडानी के लिए बनाए गए बिल किसानों के गले से जल्द निकाल दें और इस ख़राब स्थिति  से छुटकारा लें, अन्यथा भारत को इतना नुकसान होगा कि इसे पूरा करने में सदियाँ लगेंगीं।  गुरु मेहर करे।
          अमर जीत सिंह चंदी।

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